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बहुत लोग ये कब से लिखे जा रहे है या मांंग कर रहे है की
जला दो……………….. फूंक दो
मतलब अगर किसी का धर्म नहीं या कथित तौर पर धर्म हीन है तो चाहे जिस माध्यम से मृतक का क्रिया कर्म कर दो क्या फर्क पड़ता है
…..बेसिकली कथित तौर पर आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता है उस आधार पर मांंगकर रहे है या सलाह दे रहे है बहुत से लोग …….
सच भी है इस मांग में कोई खराबी नहीं है सिवाय इसके की
किसी टुकड़ैल आतंकी या तबाही का तांडव मचाने नियत रखने वाले का हिन्दू विधि से या उस तरह से मृतक संस्कार या दाह संस्कार किया जाये जो किसी भी तरह से सनातन संस्कार से मिलता जुलता हो…………
………..क्योंकि मुझे इस सलाह या विचार में साजिश नजर आती है सनातन हिन्दू को बदनाम करने की
……और कल को कहीं लोगो को जुबान मिल जाये की हो न हो वे आतंकी हिन्दू ही रहे हो..
तब क्या करे..
पहले उनके जलने से अपने देश की आबो हवा में उन धर्महीन लोगो की गंध नहीं आणि चाहिए………….
उन्हें दफ़न करने के लिए हमारी देश की पवित्र भूमि में सुई के नोक के बराबर भी जमीन नहीं नसीब होनी चाहिए………….
हमारे देश को तबाह करने की नियत रखने वालो को अपने देश की आसमान में उड़ने वाले चिल कव्वों या जमीन के मांसाहारी कुत्तो को भी नहीं खाने को दे…….
इन आतंकियों या कथित तौर पर धर्महीन आताताई लोगो की लाशों को बीच समंदर में खतरनाक मछलियो के पेट पूजा के लिए छोड़ दे मसलन शार्क टाइप की मछलियो के लिए या चाहे जोभी हो…………….
बाकि सब सही है
जय हिन्द जय भारत
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