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खजाना खाली है सरकार का चाहिए स्मार्ट सिटी लोगों को

भरद्वाज विमान
भरद्वाज विमान
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लखनऊ-राजधानी सरकार का खजाना किस कदर खाली है की आपको अनुमानं लगाने के लिए बस यह ही काफी है की
लखनऊ पेट्रोल पंप के मालिकों ने पुलिस की गाड़ियों को तेल देने से मना किया कर दिया है अफसरों की गाड़ियों के भी थम जाएंगे पहिए,SSP,DIG,IG की गाड़़ियों पर भी तेल का संकट है कारण
पुलिस की गाड़ियां का पम्प मलिकोंके 2.50 करोड़ का उधार नहीं चुकाने पर किया इंकार,शहरी पुलिस गाड़ियों पर तेल का संकट
उधार के पेट्रोल पर चल रही यूपी पुलिस और इधर मुख्यमंत्री आवास 6 कालिदास मार्ग भी नगर निगम के टैक्स का डिफाल्टर हो चला है और भी नजाने क्या क्या किन किन विभागों का बकाया होगा सरकार व् सरकारी लोगो का और उपर से चाहिए स्मार्ट सिटी यूपी के लोगों को।
अब इस पर कोई व्यथित होता है तब ठीक है
ख़जाने की हालत ये है की लगता है की उत्तर प्रदेश मे किसान बचे ही नहीं…..
मतलब खेती के लायक की जमीन नही बची है।
दो राज्यों की ही तुलनात्म स्थिति देखे राजस्थान व् उ प्र के किसानों को 686 करोड़ रूपये का खरीफ के फसल नुकसानी व मानसून के खराबी पर बीमा के रकम का भुगतान किया गया जो कि Modified National Agriculture Scheme (MNAIS) and Weather Based Crop Insurance Scheme (WBCIS) के तहत है
लेकिन
उसमें से 525 करोड़ का क्लेम राजस्थान सरकार ने अपने राज्य के किसानों के लिए किया और भुगतान भी कराके किसानों के बैंक अकाउंट में दे दिया।
और
वहीं उ प्र सरकार सरकार केवल169 करोड़ रूपये का ही क्लेम सेटल करवा सकी।
जबकि
राजस्थान सरकार ने 63.68 लाख किसानों को 68.95 लाख हैक्टेयर के लिए बीमित करवा रखा था
और उत्तर प्रदेश सरकार ने 15.32 लाख किसानों को 16.16 लाख हैक्टेयर के लिए ही बीमित करवा सकी। मतलब साफ है सरकार के पास किसानो के बीमा करवाने तक के पैसे नहीं है

यहाँ उत्तर प्रदेश में आबादी ज्यादा किसान ज्यादा उत्पादन ज्यादा तब नुकसान भी ज्यादा उत्तर प्रदेश के किसानों का हुआ। सब पैसे बीमा कंपनियों व केन्द्र सरकार की योजना के तहत देना था राज्य सरकार को बस किसानों भूमि व फसलों का रिकार्ड भर देना था वो भी सरकार के नेता मंत्री नेतृत्व गण अपने अधिकारियों कर्मचारियों से न करवा सके। इन किसानों का नुकसान करके जरूर राहत मिली होगी नेतृत्व गण को । वैसे कही बीमा कंपनियों के प्रबंधकिय नजर आने का करामात तो नही की आपदा ग्रस्त जनपद घोषित करने में भी कोताही बरती गयी है। केंद्र व् बीमा कंपनियों से पैसे निकलवाने में अव्वल देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक पश्चिम बंगाल रहा है
किसानों के वोट बैंक का ही ख्याल किया गया होता कम से कम।
चुनाव नजदीक ही है दूरदर्शीता का अभाव साफ परिलक्षित हो रहा है।

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