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हमेशा की तरह हर युग के जैसे
भक्त भगवान की लीला देखने के लिए धरती पर पहले ही आ जाते है लेकिन जानकारी सबसे पहले भगवान के शत्रुओं को हो जाती है कि भगवान का अवतार धरती पर हो चुका है सो हमेशा ही की तरह उन्हें मारने के लिए खत्म करने हेतु (वर्तमान मे फंसाने के लिए) अनेक प्रकार षड्यंत्र शत्रुओं द्वारा रचे जाते हैं।
हालाँकि भगवान अपने शत्रुओं द्वारा कभी नही मरते।
ये सारे भक्त गण जो कि यक्ष गंधर्व इंद्र सभा के देव तथा अन्य कई विभूतियों के अंश के रूप मे धरती पर भगवान की आज्ञा से उनकी लीलाओं का आनंद लेने के लिए जन्म लेते हैं और भगवान के लीलाओं के लिए अपने अपने अपने भाग का निर्वहन करते हुए उनके लिए ग्राउंड तैयार करते है
किंतु उन्हें यह मालूम नही होता कि भगवान कौन है और इंतजार करते है भगवान कब आयेंगे।
तब भगवान के शत्रु ही चिल्लपों मचा के जग जाहिर कर देते है कि भगवान का अवतार हो चुका है और भगवान कीर्ति अंजाने मे ही सारे संसार में फैला डालते है।
वरना भक्तों को तो कभी मालूम ही नहीं होता कौन भगवान है।
वैसे पहले भगवान गोल घूमने वाले कठोर धातु के बने चक्र से या बांणों से मारकर स्वयं ही दंड दिया करते थे
लेकिन लगता है कलयुग में उनके हथियार बदल गये है और आजकल शायद गोल घुमावदार नरम रेशे से बने फंदे से गला कस के दंड (फांसी) या फिर बंदूक की गोली से मरवा के (एनकाउंटर) दंड दिलवाते देते होंगे।
कृपया इस आलेख का वर्तमान में किसी भी व्यक्ति से जबरन कोई तरह का सम्बन्ध न लगायें।
भले ही कोई वर्तमान में किसी को अवतार मानता हो।
कृपया बुरा भी न माने
होली भी है न!!!!!!!!
इस लिए
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