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अधिग्रहण शब्द के माने प्रायः बड़ी कंपनियों द्वारा ………छोटी किंतु नामी या प्रसिद्ध ………या घाटे में चल रही कंपनियों को पूर्ण या आंशिक रूप से खरीद लिया जाता है ………..या उनके किसी प्रसिद्ध उत्पाद को खरीद लिया जाता है।
जैसे फेसबुक ने छोटे किंतु लोकप्रिय हुए ह्वाटसप का एक अच्छे रकम की ऑफर पर अधिग्रहित कर लिया।
वैसे अधिग्रहण समायोजन आधिपत्य आदि शब्दों की प्रक्रियाओं का प्रयोग व प्रयोजन राजनीतिक हल्को में सदियों से होता रहा है ………. इस सिस्टम मे राजनीतिक दल अपना सामान्य जनाधार बनाए रखते हुए किसी नये उभरते हुए छोटे या क्षेत्रीय दल को बढ़ावा देते है ताकि वे नयेे जन लोकप्रिय नेतृत्व तैयार करें …..
……….अब वर्तमान भारतीय राजनीतिक क्षेत्र मे इस प्रक्रिया जन्मदाता कांग्रेस रही है , ……….लेकिन इस प्रक्रिया का सफलता पुर्वक उपभोग आरम्भ के दिनों में इस पार्टी ने किया।
……उत्तर प्रदेश में पिछले बीस वर्षों में भारत की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने यही किया जिसमें सर्वाधिक सफल भजप रही है
भाजप व कांग्रेस ने नब्बे के दसक में अपने खोये जनाधार को पाने के लिए बसपा व सपा नामक दलों को येन केेन प्रकारेण खूब बढ़ावा दिया बजाए संघर्ष के एक ढेढ दसक का वाकओभर दे कर इन छोटे दलों की क्रमशः बहुमत की सरकारें बनने दिया।
………अब इसके पीछे मुख्य कारण यह रहता है कि ये छोटे दल कम संघर्षों व कम समय खर्चे मे नये राजनीतिक नेतृत्व व क्षत्रप पैदा करते है
……………पहले बड़े दल इन छोटे दलों को साथ ले कर चुनाव लड़ते हैं या गठबंधन सरकार मे शामिल कर लेते हैं और फिर इन छोटे दलों के नये उबरते हुए क्रीम क्षत्रपों को बड़ी कंपनियाँ के जैसे बड़े राष्ट्रीय राजनीतिक दल बड़े नेशनल लेवल के हैवी ऑफर दे कर सदस्य बनालेते है या अपने दल मे सदस्यता दे चुनाव में अपनी ओर से चुनाव भी लडवा देते हैं।
……………अब उदाहरण के लिए देखें 2014 के चुनावों में भजप ने बसपा अद लोद के बहुत सेे क्रीम नये जन लोकप्रिय नेताओं क्षत्रपों को उठा लिया और जनरल इलेक्सन में जबरदस्त अप्रत्याशित सफलता पाया।
……………….अब वर्तमान विधानसभा चुनावों मे भजप ने बचे खुचे छोटे दलिय नेताओं को भी अपने दल मे शामिल कर लिया है …………..जबकि कांग्रेस नये सिरे से गठबंधन कर आगे बढ़ने की फिराक मे है सो कांग्रेस को अभी सपा या छोटे दल के क्रीम क्षत्रपों को तोड़ने मे अच्छा खासा दो तीन चुनावों का बलिदान देना होगा क्योंकि सपा मे अभी भी ज्यादातर क्षत्रप एक ही परिवार के है ……………..बसपा इसी मामले मे कमजोर रही क्योंकि उसके लगभग सभी क्षत्रप केंद्रीय नेतृत्व के परिवार से नही रहे सो उन्हें तोड़ना काफी आसान रहा।
कुल मिला कर एक लोकल या छोटी कंपनी के अच्छे प्रतिभावान कर्मियों का बड़ी कंपनियों के बड़े ऑफर से आकर्षित हो ज्वाइन करने जैसे समझें।
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